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मौसम / अनूप सेठी

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|रचनाकार=अनूप सेठी
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{{KKCatKavita}}<poem>::1.  
हवा के रास्ते
 
सूरज वस्त्र वस्त्र जल सोख लेने पर उतारू है
 
नदी के वास्ते
 
यह भी एक ऋतु आई है.
 ::2.  
पहाड़ों ने रख दिया
 
कतरा कतरा समुद्र घाटियों के हाथ
 
नदी उठी
 
चली पीहर
 
ले उत्सवी सौगात.
 ::3.  
रात भर दहकते रहे हैं बादल
 
चार पग उतर क्यों नहीं आए तुम
 
हवा के आंचल ही बांध भेज देते
 
तनिक सी एक फुहार.
 ::4.  
हवा उड़ी ले
 
विश्वासों के कुछ भीगे हिन्से
 
युकिलिप्टस झर चला
 
बस ताकता आकाश.
 
 
(1978)
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