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वो रात / अभिज्ञात

16 bytes added, 17:32, 4 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatKavita}}<poem>बातों बातों में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी
है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारें में बात भी होगी
 
</poem>
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