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धनतेरस / अरुण कमल

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आज धनतेरस है
 
नए-नए बर्तन ख़रीदने का दिन
 
और आज ही हम अपने आख़िरी बर्तन लिए
 
घूम रहे हैं दुकान-दुकान
 
आने का सवाल क्या
 
जो कुछ पास था सब जा रहा है
 
देखो वे कितनी बेरहमी से थकुच रहे हैं
 
:::हमारे पुराने बर्तन
 
और सजा रहे हैं एक पर एक
 
:::अपने नए बर्तन!
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