भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आखिर हम आदमी थे / अरुणा राय

27 bytes removed, 16:33, 5 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अरुणा राय
}}
{{KKCatKavita}}<poem>इक्कीसवीं सदी के <br>आरंभ में भी<br>प्यार था<br>वैसा ही <br>आदिम<br>शबरी के जमाने सा<br>तन्मयता <br>वैसी ही थी<br>मद्धिम <br>था स्पर्श<br>गुनगुना...<br><br> आखिर <br>हम आदमी थे<br>
... इक्कीसवीं सदी में भी
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits