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कौन पढ़ेगा ? / नरेन्द्र मोहन
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17:00, 5 नवम्बर 2009
रंगों की बुनावट में चमक है
अब भी
चमक में छिपा है कोई संदेश
कल का
कल के लिए
गिरती दीवारों पर अंकित है
एक अबूझ लिपि
कौन पढ़ेगा
ढहती इमारत की भाषा ?
त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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