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सचमुच की यातना / अरुणा राय

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|रचनाकार=अरुणा राय
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<poem>
झूठी राहत
ढूंढ रहा था मैं
पर तूने दे डाली
सचमुच की यातना .. .
झूठी राहत<br>खुशियों से ढूंढ रहा जो ढंक रहे थे मुझे क्या कम था मैं<br>पर तूने दे डाली<br>सचमुच की यातना .. <br><br>.
खुशियों से<br>जो ढंक रहे थे मुझे<br>क्या कम फितूर था<br><br>
क्या फितूर था<br><br> कि जिससे शीतलता पाई<br>चाह रही थी <br> कि वही<br>
जलाए मुझे ...
</poem>
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