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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>कहाँ है उत्तर
जिसे शासन चलाने वाले
अपने अनगिन सहकारियों को
खोज लेने को
डाँट कर लगाते हैं
रात दिन
संध्या को लोग
मुँह लटकाए एक दूसरे की ओर
नित्य ताकते हैं
लाचार
लोगों को परेशानी है
विनोद में, चिंता में, कुछ करते धरते
जन पूछ ही पड़ते हैं:
आखिर इसे उत्तरप्रदेश कहा जाता है
जो हमें मिला है, उत्तर देना होगा,
अपनी जिम्मेदारी है, अन्यथा
विपक्ष परिहास की उमंग में
इसे नया नाम देगा-
प्रश्नप्रदेश।
21.09.2009</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>कहाँ है उत्तर
जिसे शासन चलाने वाले
अपने अनगिन सहकारियों को
खोज लेने को
डाँट कर लगाते हैं
रात दिन
संध्या को लोग
मुँह लटकाए एक दूसरे की ओर
नित्य ताकते हैं
लाचार
लोगों को परेशानी है
विनोद में, चिंता में, कुछ करते धरते
जन पूछ ही पड़ते हैं:
आखिर इसे उत्तरप्रदेश कहा जाता है
जो हमें मिला है, उत्तर देना होगा,
अपनी जिम्मेदारी है, अन्यथा
विपक्ष परिहास की उमंग में
इसे नया नाम देगा-
प्रश्नप्रदेश।
21.09.2009</poem>