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|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>वह
अशोक वाटिका में रही
पर अ-शोक न भई
यह शीतलता---
कोई अग्नि जिसे
जला नहीं पाती।</poem>