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Kavita Kosh से
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<Poem>हमारे पास है पृथ्वी जितना मन
पेड़ पौधे अनंत
नदी में बहते हुए मिट्टी के अनगिनत कण
मैं कविता की रेत पर रचना चाहता हूं ढेर सारी गाली
कवि मित्र जो कहें सो कहें!</poem>