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|रचनाकार=अश्वघोष
|संग्रह=जेबों में डर / अश्वघोष
}}[[Category:गज़ल]]{{KKCatKavita}}<poem>
पाँच वर्षों का मुकम्मल दीजिए पहले हिसाब।
फिर करेंगे हम दुबारा वोट का वादा जनाब।