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Kavita Kosh से
|रचनाकार=असद ज़ैदी
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'''विष्णु खरे के लिए
नरक तो कोई जगह है नहीं और यह जो महबूब वतन है अपना
ऐसे ही धधका करेगा मेरे बिना।
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