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|रचनाकार=अहमद फ़राज़
}}
{{KKCatKavita}}<poem>उसने कहा सुन <br>अहद निभाने की ख़ातिर मत आना <br>अहद निभानेवाले अक्सर मजबूरी या <br>महजूरी की थकन से लौटा करते हैं <br>तुम जाओ और दरिया-दरिया प्यास बुझाओ<br> जिन आँखों में डूबो <br>जिस दिल में भी उतरो <br>मेरी तलब आवाज़ न देगी <br>लेकिन जब मेरी चाहत और मेरी ख़्वाहिश की लौ <br>इतनी तेज़ और इतनी ऊँची हो जाये <br>जब दिल रो दे <br>तब लौट आना <br><br/poem>