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|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
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<poem>इतिहास
जो दरिया बनकर बहता है
और सूरज का मुंह
पड़ गया था काला
जहांगीर कौन कवि था
गांधी ने किया था
इतिहास तो बहता हुआ दरिया है
इतिहास तो बहता हुआ दरिया है।</poem>