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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>भुच्च काला …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>भुच्च काला
पसलियों सना सीना
और बेहद फूला पेट
बिलकुल नंगा
वह, उस अखबार पर की जूठन
चाट रहा है
जिसपर अमेरिका के झंडे की फोटो
लहराती हुई छपी है
कसरती बदन वाले बुश साहब
मुस्कुराते दिखते हैं।
रेडियो में दूर कहीं बज रहा है
सारी दुनियाँ का बोझ हम उठाते हैं
अखबार में छपा है
हिन्दुस्तानी ज्यादा खाते हैं
और सारी दुनियाँ
इसी से भूखों मर रही है..
उसका फूला हुआ पेट
बिलकुल ग्लोब की तरह दिखता है
और नाक भौं सिकोडते
उस विदेशी सैलानी के आगे
हाँथ फैलाये खडा अब
भूखे होने का इशारा करता
नादान!! नहीं जानता
कि कोई कोंडलिसा ‘राईस’ नहीं देती..
बाजार मे भीड है
वह मूढ नावाकिफ है
कि भारत एक बडा बाजार है
उसे चिंता भी नहीं
तन पर एसा कोई चीथडा नहीं
जिसमें जेब हो
उसका फैला हुआ हाँथ
अब तक खाली है..
द्रौपदी का पात्र
एक दाने से जगत को तृप्त करता था
नादान ने वह कीमती दाना निगल लिया है
उसे भी पचता नहीं है
बुश को भी नहीं
और दुनिया भूखी मर रही है
आह...
19.05.2008
------
अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश की इस टिप्पणी के बाद कि "दुनियाँ में भुखमरी इस लिये है कि हिन्दुस्तानी ज्यादा खाते हैं"।</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>भुच्च काला
पसलियों सना सीना
और बेहद फूला पेट
बिलकुल नंगा
वह, उस अखबार पर की जूठन
चाट रहा है
जिसपर अमेरिका के झंडे की फोटो
लहराती हुई छपी है
कसरती बदन वाले बुश साहब
मुस्कुराते दिखते हैं।
रेडियो में दूर कहीं बज रहा है
सारी दुनियाँ का बोझ हम उठाते हैं
अखबार में छपा है
हिन्दुस्तानी ज्यादा खाते हैं
और सारी दुनियाँ
इसी से भूखों मर रही है..
उसका फूला हुआ पेट
बिलकुल ग्लोब की तरह दिखता है
और नाक भौं सिकोडते
उस विदेशी सैलानी के आगे
हाँथ फैलाये खडा अब
भूखे होने का इशारा करता
नादान!! नहीं जानता
कि कोई कोंडलिसा ‘राईस’ नहीं देती..
बाजार मे भीड है
वह मूढ नावाकिफ है
कि भारत एक बडा बाजार है
उसे चिंता भी नहीं
तन पर एसा कोई चीथडा नहीं
जिसमें जेब हो
उसका फैला हुआ हाँथ
अब तक खाली है..
द्रौपदी का पात्र
एक दाने से जगत को तृप्त करता था
नादान ने वह कीमती दाना निगल लिया है
उसे भी पचता नहीं है
बुश को भी नहीं
और दुनिया भूखी मर रही है
आह...
19.05.2008
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अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश की इस टिप्पणी के बाद कि "दुनियाँ में भुखमरी इस लिये है कि हिन्दुस्तानी ज्यादा खाते हैं"।</poem>