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* [[तन के सौ सुख, सौ सुविधा में मेरा मन बनवास दिया-सा / हरिवंशराय बच्चन]]
* [[तुमको छोड़ कहीं जाने को आज हृदय स्वच्छंद नहीं है / हरिवंशराय बच्चन]]