भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
है सबब उदासी का कभी तो कभी हँसी लब पर
कभी तुम्हारी आहट सुन लूँ पलकें मूंद कर
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद