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है सबब उदासी का कभी तो कभी हँसी लब पर
कभी तुम्हारी आहट सुन लूँ पलकें मूंद कर
हूँ बहुत चन्चल हँसमुखहूँ बहुत, हर महफ़िल की जानकभी मैं खुद को ढूँढ रही हूँ , खुद से हूँ अंजान
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद
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