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|रचनाकार=उमाकांत मालवीय
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फागुनी रंगों भरी बयार
आ पहुँची आपके द्वार
ऋतुराज वसंत का आगमन
झंकृत हो उठा मन उपवन।
उड़े कभी इस पार, कभी उस पार
फागुनी रंगों भरी बयार।
आलिंगन करता बार-बार
मोहित हो भ्रमर राज
सुख व स्नेह का आँचल पसार खड़ी हुई
फागुनी बयार आई आपके द्वार।
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