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|रचनाकार=सौदा
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जब मैं गया उसके तो उसे घर में न पाया
आया वो अगर मेरे तो दरख़ुर न रहा मैं
कैफ़ियते-चश्म उसकी मुझे याद है ’सौदा’
साग़र को मिरे हाथ से लीजो कि चला मैं
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