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|रचनाकार=अमीर खुसरो
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हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल, बाइस ख्वाजा मिल बन बन आयो
तामें हजरत रसूल साहब जमाल। हजरत ख्वाजा संग..।
अरब यार तेरो (तोरी) बसंत मनायो, सदा रखिए लाल गुलाल।
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल।
</poem>
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