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Kavita Kosh से
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बच्चों को नाहक संयम सिखलाते हो।वे तो बनना वही चाहते हैं जो तुम हो।तो फिर जिह्वा को देकर विश्राम जरा-साअपना ही दृष्टान्त न क्यों दिखलाते हो?
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