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{{KKRachna
|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
लेकर नक्षत्र हाथों में
बजाऊँ मैं करताल की तरह
जिसकी धुन पर नाचे पूरी पृथ्वी
पूरा आसमान
समूची आकाशगंगाएँ
कि बरसे जल समस्त धाराओं में
प्रेम को कैसे व्यक्त कर सकती हूँ
मैं
इसके सिवाय...।
</poem>
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|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
}}
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<poem>
लेकर नक्षत्र हाथों में
बजाऊँ मैं करताल की तरह
जिसकी धुन पर नाचे पूरी पृथ्वी
पूरा आसमान
समूची आकाशगंगाएँ
कि बरसे जल समस्त धाराओं में
प्रेम को कैसे व्यक्त कर सकती हूँ
मैं
इसके सिवाय...।
</poem>