भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुर्घटना / लाल्टू

858 bytes added, 11:55, 24 नवम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }} <poem>सूर्यास्त के सूरज और रुक गए …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>सूर्यास्त के सूरज और रुक गए भागते पेड़ों के पास
वह था और नहीं था।

हालाँकि उसकी शक्ल आदमी जैसी थी
गाड़ीवालों ने कहा साला साइकिल कहाँ से आ गया
कुछ लोग साइकिल के जख्मों पर पट्टियाँ लगा रहे थे
वह नहीं था

सूर्यास्त के सूरज और रुक गए भागते पेड़ों के पास
वह था और नहीं था।

जो रहता है वह नहीं होता है।</poem>
750
edits