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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }} <poem>सूर्यास्त के सूरज और रुक गए …
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{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>सूर्यास्त के सूरज और रुक गए भागते पेड़ों के पास
वह था और नहीं था।
हालाँकि उसकी शक्ल आदमी जैसी थी
गाड़ीवालों ने कहा साला साइकिल कहाँ से आ गया
कुछ लोग साइकिल के जख्मों पर पट्टियाँ लगा रहे थे
वह नहीं था
सूर्यास्त के सूरज और रुक गए भागते पेड़ों के पास
वह था और नहीं था।
जो रहता है वह नहीं होता है।</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>सूर्यास्त के सूरज और रुक गए भागते पेड़ों के पास
वह था और नहीं था।
हालाँकि उसकी शक्ल आदमी जैसी थी
गाड़ीवालों ने कहा साला साइकिल कहाँ से आ गया
कुछ लोग साइकिल के जख्मों पर पट्टियाँ लगा रहे थे
वह नहीं था
सूर्यास्त के सूरज और रुक गए भागते पेड़ों के पास
वह था और नहीं था।
जो रहता है वह नहीं होता है।</poem>