भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
आज, अभी इस क्षण
बहुत उदास है मन
जैसे हृदय पर कोई
मार रहा हो घन
कहाँ गई वो रूपा
जिसका नाम गगन
छूट गया सब पीछे
हार गया हूँ रण
पर अब भी बाक़ी है
दुनिया में जीवन