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Kavita Kosh से
बहुत कठिन है/तब और भी कठिन
जब फ़ाख़्ताओं को देखते/तुम्हें सोचना पड़े
कि तुम्हारे पसंखों पंखों का विस्तार
उचित नहीं है
कि तुम्हारे पंखों पर के