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{{KKRachna
|रचनाकार=नरेन्द्र शर्मा
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::सूरज डूब गया बल्ली भर-
::सागर के अथाह जल में।
::मन को खेल खिलाता कोई,
::निशि दिन के छाया-छल में।
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