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किश्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिए
जलते दियों दीयों में जलते घरों जैसी लौ कहाँ
सरकार रोशनी का मज़ा हमसे पूछिए
हँसिए मगर हँसी का मज़ा हमसे पूछिए
हम तौबा कर के करके मर गए कबले अजल क़बले-अज़ल<ref> मौत से पहले</ref> "ख़ुमार" तौहीन-ए-मयकशी <ref>शराब का निरादर</ref> का मज़ा हमसे पूछिये
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