लेखक: [[इक़बाल]]{{KKGlobal}}{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=इक़बाल]][[Category:कविताएँ]]}}
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सच कह दूँ ऐ ब्रह्मन गर तू बुरा न माने<br>
शक्ती भी शान्ती भी भक्तों के गीत में है<br>
धरती के बासियों वासियों की मुक्ती प्रीत में है<br><br>