भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
जन्म-जन्म तेरा हूँ दीवाना मैं
झूमूँ नाचूँ गाऊँ तेरे प्यार क का तरानामै जीना नहीं सोच नहीं दुनिया कि की दौलत नहीं
बस लूटूँगा तेरे प्यार का खजाना
एक नजर जब तेरी होती है प्यार की