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|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
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कविता जीवन का क्लोरोफिल
और जीवन सृष्टि का पत्ता
उलटता पृष्ठ यह सोचकर
कौन सोया है इस वृक्ष की छाया में
किसका यह सपना
जो देखता मैं
उसे अपना समझ कर.
'''रचनाकाल: 22.1.2006</poem>