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|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
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चीखती हुई कुछ बोलती
चिड़ियाँ लगाती बेचैन सूखते आकाश में गोता
यह एक चलता हुआ घर
भागती हुई सड़क पर
यह एक बोलती खामोश दोपहर
14.7.2006
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