भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किताब / मोहन राणा

18 bytes added, 12:26, 26 दिसम्बर 2009
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
रुकते अटकते कभी
 
थक कर खो जाते अपनी ही उम्मीदों में
 
निराशा को पढ़ते हुए सुबह की डाक में
 
पूरी हो गई एक क़िताब
 
किसी अंत से शुरू होती
 
किसी आरंभ पर रुक जाती
 
पूरी हो गई एक क़िताब
 
 
आकाश गंगा में एक
 
बूंद पृथ्वी
 
भटकते अंधकार में
 
 
17.9.2004
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,311
edits