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जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है <br><br>
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़सना फ़साना है <br>
रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है <br><br>
वो हुस्न-ओ-जमाल उन का ये इश्क़-ओ-शबाब अपना<br>
जीने की तमन्ना है मरना मरने का ज़माना है <br><br>
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम थे ख़फ़ा उन से <br>
आँखों में नमी सी है चुप-चुप से वो बैठे हैं <br>
नज़ुक नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है <br><br>
है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा <br>