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|संग्रह=संतरण / महेन्द्र भटनागर
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{{KKCatKavita}}<poem>माना, हमने धरती से नाता जोड़ा है,<br>पर, चाँद-सितारों से भी प्यार न तोड़ा है,<br>सपनों की बातें करते हैं हम, पर उनको<br>सत्य बनाने का भी संकल्प न थोड़ा है !<br/poem>