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|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
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पूर्ण निष्ठावान
 
हम,
 
आश्वस्त हो उतरे
 
विकट जीवन-मरण के
 
द्वन्द्व में !
 
बन सिपाही
 
अमर जीवन-वाहिनी के,
 
घिर न पाएंगे
 
विपक्षी के किसी
 
छल-छन्द में !
 
हार जाएँ,
 
पर, वर्चस्व मानेंगे नहीं
 
तनिक भी मरण का,
 
अधिकार अपना
 
छिनने नहीं देंगे
 
जीवन वरण का !
 
जयघोष गूँजेगा
 
चरम निश्वास तक,
 
संघर्षरत
 
बल-प्राण जूझेगा
 
शेष आस / प्रयास तक !
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