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{{KKRachna
|रचनाकार=धर्मवीर भारती
|संग्रह=मेरी वाणी गैरिक वासना / धर्मवीर भारती}} {{KKCatKavita}}[[Category: मुक्तक]]<poem>तप्त माथे पर, नजर में बादलों को साध कर
रख दिये तुमने सरल संगीत से निर्मित अधर
आरती के दीपकों की झिलमिलाती छाँह में
बाँसुरी रखी हुई ज्यों भागवत के पृष्ठ पर</poem>