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|रचनाकार=रेने देपेस्त्र
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उठो! ओ मेरे अफ़्रीकी
कि मानवता का सुनहरा अनाज उपज सके।
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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