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रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 2

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लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रामधारी सिंह "'दिनकर"]]'[[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "'दिनकर"]]'}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~  &#39;&#39;यह देह टूटने वाली है, इस मिट्टी का कब तक प्रमाण ?<br>
मृत्तिका छोड ऊपर नभ में भी तो ले जाना है विमान .<br>
कुछ जुटा रहा सामान खमण्डल में सोपान बनाने को ,<br>
ये चार फुल फेंके मैंने, ऊपर की राह सजाने को .&#39;&#39;<br>
<br>
&#39;&#39;ये चार फुल हैं मोल किन्हीं कातर नयनों के पानी के ,<br>
ये चार फुल प्रच्छन्न दान हैं किसी महाबल दानी के .<br>
ये चार फुल, मेरा अदृष्ट था हुआ कभी जिनका कामी,<br>
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