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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=खड़ी बोली
}}
<poem>
अजी बाबा जी अजी ताऊ जी
हमारे आप वर ढूँढो
सास हो जैसी गऊ माता
ससुर हों दिल्ली के दादा जी।
पति हों बाल ब्रह्मचारी
जो राखै प्राणों से प्यारी जी
गड़ा दो केले के खम्बे जी
दिला दो वेद से फेरे जी।
हम तो हो गए हैरान लाड्डो तेरे लिए…<br>गोकुल भी ढूँड्या लाड्डो मथुरा भी ढूँड्या<br>ढूँड्या- ढूँड्या शेरपुर लाड्डो तेरे लिए…<br>सारे कॉलिज के लड़के भी ढूँड्डे<br>ढूँड्या- ढूँड्या ये लल्लू लाड्डो तेरे लिए<br>…।लिए…बिन्दी भी देंगे लाड्डो टिक्का भी देंगे<br>देंगे- देंगे ये झूमर लाड्डो तेरे लिए …।लिए…<br/poem>……………