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|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
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<poem>
हरी-भरी है
मेरे मन की
धरती...
हालाँकि
दूर हैं
सूरज
चाँद
तारे
आकाश
बादल
और
तुम...।
</poem>
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|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
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हरी-भरी है
मेरे मन की
धरती...
हालाँकि
दूर हैं
सूरज
चाँद
तारे
आकाश
बादल
और
तुम...।
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