भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

और तुम / रंजना जायसवाल

449 bytes added, 14:22, 24 जनवरी 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
हरी-भरी है
मेरे मन की
धरती...

हालाँकि
दूर हैं
सूरज
चाँद
तारे
आकाश
बादल

और
तुम...।
</poem>