भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसके लिए सड़क / मुकेश जैन

850 bytes added, 13:52, 26 जनवरी 2010
{{KKCatKavita}}
<poem>
उसके लिए सड़क
रास्ता भर होती है
मोड़
इस तरह मुड़ जाता है
जैसे मोड़ ही न हो
आदमी तो होते ही नहीं हैं
सड़क पर उसके लिए
न मक़ान, न दुकानें
लड़कियाँ भी नहीं
यह पक्का है वह उदास नहीं है
उसकी भाषा
सिगरेट के धुएँ में मिलकर
और तल्ख़ हो जाती है
वह समाज के मुँह पर
थूकता है धुआँ
तुम्हे लगेगा वह प्रदूषण फेंकता है।
 
'''रचनाकाल''' : 03 मई 1992
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits