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गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
हाले-दिल पर हक़ के बातिल<ref>सच या झूठ</ref> इक कलाम<ref>वाणी या वचन</ref > अपना भी है
मेहरबाँ<ref>दयालु</ref> भी हैं बहुत और कद्रदाँ<ref>गुणग्राहक</ref> भी हैं बहुत