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Kavita Kosh से
*[[पथ जीवन का पथरीला भी, सुरभित भी और सुरीला भी / अमित]]
*[[तुम मुझको उद्दीपन दे दो गीतों का उपवन दे दूँगा / अमित]]
*[[अपने दोष दूसरों के सिर पर मढ़ कर -अपने अंधकार में जीते हैं / अमित]]
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