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सुनो साथियो तुम्हें बताएँ लाला क्यों है लाला
सुखा दिया इसने सारा अपने मन का पानी
खरे दाम में बेचा करता अपनी बेईमानी
रोटी देकर ख़ून चूसना इसका दया-धरम है
परदेशों को देश बेचने में भी नहीं शरम है
कोर्ट-कचहरी अस्पताल या जितने भी दफ़्तर हैं
इसको सब गिरजा, गुरुद्वारे, मस्जिद हैं, मन्दिर हैं
'''रचनाकाल''' : 24 अक्तूबर 1978
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