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Kavita Kosh से
तेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा
डूबते डूबते कश्ती तो ओछाला को उछाला दे दूँ
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा