भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=क़तील शिफ़ाई }} <poem> किया इश्क था जो बा-इसे रुसवाई …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=क़तील शिफ़ाई
}}
<poem>
किया इश्क था जो बा-इसे रुसवाई बन गया<br />
यारो तमाम शहर तमाशाई बन गया
बिन मांगे मिल गए मेरी आंखों को रतजगे<br />
मैं जब से एक चाँद का शैदाई बन गया
देखा जो उसका दस्त-ए-हिनाई करीब से<br />
अहसास गूंजती हुई शहनाई बन गया
बरहम हुआ था मेरी किसी बात पर कोई<br />
वो हादसा ही वजह-ए-शानासाई बन गया
करता रहा जो रोज़ मुझे उस से बदगुमां<br />
वो शख्स भी अब उसका तमन्नाई बन गया
वो तेरी भी तो पहली मुहब्बत न थी क़तील<br />
फिर क्या हुआ अगर कोई हरजाई बन गया
{{KKRachna
|रचनाकार=क़तील शिफ़ाई
}}
<poem>
किया इश्क था जो बा-इसे रुसवाई बन गया<br />
यारो तमाम शहर तमाशाई बन गया
बिन मांगे मिल गए मेरी आंखों को रतजगे<br />
मैं जब से एक चाँद का शैदाई बन गया
देखा जो उसका दस्त-ए-हिनाई करीब से<br />
अहसास गूंजती हुई शहनाई बन गया
बरहम हुआ था मेरी किसी बात पर कोई<br />
वो हादसा ही वजह-ए-शानासाई बन गया
करता रहा जो रोज़ मुझे उस से बदगुमां<br />
वो शख्स भी अब उसका तमन्नाई बन गया
वो तेरी भी तो पहली मुहब्बत न थी क़तील<br />
फिर क्या हुआ अगर कोई हरजाई बन गया