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कवि: [[गुलाब खंडेलवाल]]
[[Category:कविताएँ]]
[[category:गज़ल]]
[[Category:गुलाब खंडेलवाल]]
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जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
पग पग पर फूलों का डेरा, घेरे था रंगों का घेरा
पर मै तो केवल बस तेरा, तेरा होकर जिया
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह
मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमत मान कर पिया
जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तमबूरा मुझको टूटा
उसपर भी जब भी स्वर फूटा, मैने कुछ गा लिया
जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
[[Category:कविताएँ]]
[[category:गज़ल]]
[[Category:गुलाब खंडेलवाल]]
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जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
पग पग पर फूलों का डेरा, घेरे था रंगों का घेरा
पर मै तो केवल बस तेरा, तेरा होकर जिया
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह
मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमत मान कर पिया
जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तमबूरा मुझको टूटा
उसपर भी जब भी स्वर फूटा, मैने कुछ गा लिया
जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
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