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इसी चमन में ही हमारा भी इक ज़माना था / जिगर मुरादाबादी
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12:09, 20 फ़रवरी 2010
तुम्हीं गुज़र गये दामन बचाकर वर्ना यहाँ
वही
शबब
शबाब
वही दिल वही ज़माना था
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Bohra.sankalp
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