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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: किस तरह मिलूँ तुम्हेंपाखण्ड-व्रत-कथा<br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[पवन करणकात्यायनी]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
किस तरह मिलूँ तुम्हें क्यों न खाली क्लास रूम कविता मेंयह दन्द-फन्दकिसी बेंच के नीचेछल-छन्द, गन्द-भरभण्ड।और पेंसिल की तरह पड़ाचमचा-कलछुल-अल्टा-पल्टातुम चुपचाप उठाकरजीवन से जयचन्द... ...रख लो मुझे बस्ते मेंआलोचकज्यों परमानन्द, आनन्द-कन्द-मतिमन्द... ...क्यों न किसी मेले घट-घट मेंव्यापि डकारऔर तुम्हारी पसन्द के रंग मेंहे खण्ड-खण्ड पाखण्डरिबन की शक़्ल में दूँ दिखाईऔर तुम छुपाती हुई अपनी ख़ुशीखरीद लो मुझे या कि कुछ इस तरह मिलूँजैसे बीच राह में टूटीजय हो... जय हो... जय हो...तुम्हारी चप्पल के लिएजय-जय-जय-जय-जय हो...बहुत ज़रूरी पिनपों ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ
</pre>
<!----BOX CONTENT ENDS------>
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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