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पवन शान्त नहीं है / त्रिलोचन

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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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आज पवन शांत नहीं है श्यामा
 
देखो शांत खड़े उन आमों को
 
हिलाए दे रहा है
 
उस नीम को
 
झकझोर रहा है
 
और देखो तो
 
तुम्हारी कभी साड़ी खींचता है
 
कभी ब्लाउज़
 
कभी बाल
 
धूल को उड़ाता है
 
बग़ीचों और खेतों के
 
सूखे तृण-पात नहीं छोड़ता है
 
कितना अधीर है
 
तुम्हारे वस्त्र बार बार खींचता है
 
और तुम्हें बार बार आग्रह से
 
छूता है
 
यौवन का ऎसा ही प्रभाव है
 
सभी को यह उद्वेलित करता है
 
आओ ज़रा देर और घूमें फिरें
 
पवन आज उद्धत है
 
वृक्ष-लता-तृण-वीरुध नाचते हैं
 
चौपाए कुलेल करते हैं
 
और चिड़ियाँ बोलती हैं
 
आओ श्यामा थोड़ा और घूमें फिरें
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