भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बंदिनी / मेरे साजन हैं उस पार

1,333 bytes added, 23:48, 21 फ़रवरी 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKFilmSongCategories |वर्ग=अन्य गीत }} {{KKFilmRachna |रचनाकार=?? }} <poem>ओ रे माझी, ओ रे माझ…
{{KKGlobal}}
{{KKFilmSongCategories
|वर्ग=अन्य गीत
}}
{{KKFilmRachna
|रचनाकार=??
}}
<poem>ओ रे माझी, ओ रे माझी, ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार
ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार
मेरे साजन हैं उस पार...

हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना
गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना
मुझको आज की बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार
मेरे साजन...

मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मैं बंदिनी पिया की, मैँ संगिनी हूँ साजन की
मेरा खींचती है आँचल, मन मीत तेरी हर पुकार
मेरे साजन हैं उस पार
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार...
</poem>
Delete, Mover, Uploader
894
edits